काशी: जहां आस्था, अध्यात्म और मोक्ष का संगम होता हैभारत की धार्मिक नगरी काशी को केवल एक शहर नहीं, बल्कि आस्था का जीवंत प्रतीक माना जाता है। यह ऐसा स्थान है, जिसे युगों से मोक्ष का द्वार कहा गया है। इतिहास और पौराणिक विश्वासों के अनुसार, काशी उतनी ही प्राचीन है जितना स्वयं काल। इसी कारण इसे आनंदवन और मोक्ष नगरी जैसे अनेक पवित्र नामों से जाना जाता है।
भगवान शिव का प्रिय धाम
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में काशी को भगवान शिव का परम धाम बताया गया है। मान्यता है कि यहां स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती निवास करते हैं। कथा के अनुसार, विवाह के बाद जब शिवजी माता पार्वती को कैलाश पर्वत ले गए, तो कुछ समय बाद पार्वती जी को यह अनुभव हुआ कि वे अब भी अपने मायके में ही रह रही हैं। तब उन्होंने भोलेनाथ से कहा कि विवाह के बाद हर स्त्री अपने पति के घर जाती है, लेकिन मैं तो अभी भी अपने पिता के घर ही हूं।माता की इस भावना को समझते हुए भगवान शिव ने निर्णय लिया कि वे पृथ्वी पर अपना घर बसाएंगे। इसके बाद वे गंगा के तट पर स्थित उस दिव्य स्थान काशी आए और यहीं स्थायी निवास किया। तभी से काशी को शिव का घर और विश्वनाथ का नगर कहा जाने लगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर का आध्यात्मिक महत्व
काशी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर आज भी अनगिनत श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां भगवान शिव विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से महादेव के दर्शन करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है।यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके परिसर में हर क्षण भक्ति, वेद मंत्रों की ध्वनि और गंगा आरती की भावनात्मक ऊर्जा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
काशी में जीवन और मोक्ष का संगम
काशी की संकरी गलियों और पवित्र घाटों पर जीवन और मृत्यु दोनों का अनोखा संतुलन देखने को मिलता है। यहां लोग जन्म से लेकर मृत्यु तक हर संस्कार को ईश्वर के साक्षी में पूर्ण करते हैं। यह भी विश्वास है कि जो व्यक्ति काशी में अपने अंतिम क्षण बिताता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि प्रतिदिन भगवान विश्वनाथ का ध्यान करने वाला व्यक्ति अपने जीवन की सारी जिम्मेदारियां शिव के संरक्षण में सौंप देता है, और महादेव स्वयं उसके दुख, क्लेश तथा बाधाओं को दूर करते हैं।काशी का हर कोना भक्ति, अध्यात्म और शाश्वत शांति की अनुभूति कराता है। यही कारण है कि यह नगरी केवल एक भौगोलिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय धर्म और संस्कृति की आत्मा के रूप में सदा जीवित है।








