नई दिल्ली। आने वाले समय में देश के बच्चे बचपन से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया से परिचित होंगे। शिक्षा मंत्रालय अप्रैल 2026 से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र में तीसरी कक्षा से ही AI को पढ़ाई का हिस्सा बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। यह कदम भारत के स्किल इंडिया इकोसिस्टम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बड़ी पहल माना जा रहा है।
देश के हर स्कूल में लागू होगा AI करिकुलम
अब तक सीबीएसई (CBSE) के स्कूलों में आठवीं कक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पढ़ाने की व्यवस्था है, लेकिन अगले साल से यह शिक्षा तीसरी कक्षा से ही शुरू होगी। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने नीति आयोग की एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि सभी राज्यों में नई सत्र से बच्चों के लिए AI करिकुलम तैयार कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि बच्चों को शुरुआती स्तर पर ही नई तकनीकों से परिचित कराया जाए। इसके लिए मंत्रालय ने शिक्षकों की ट्रेनिंग और शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए AI आधारित टूल्स का उपयोग शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया, AI अब हर छात्र की जरूरत बन चुका है। चाहे वह स्कूल में हो या कॉलेज में।
नया करिकुलम, नई दिशा: उच्च शिक्षा में भी बदलाव की तैयारी
उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी ने भी इस मौके पर कहा कि आने वाले समय में बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे पारंपरिक कोर्सों में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्किल-बेस्ड विषयों को शामिल करने की दिशा में काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि देश की लगभग 1200 यूनिवर्सिटीज को नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर कहा जाएगा कि वे अपने कोर्सेज में नई तकनीकों को समायोजित करें और छात्रों को भविष्य की नौकरियों के अनुरूप तैयार करें।
अटल टिंकरिंग लैब्स में बढ़ेगा AI का प्रयोग
संजय कुमार ने बताया कि सरकार का फोकस केवल नौकरी सृजन (Job Creation) और नौकरी खोने (Job Loss) तक सीमित नहीं है, बल्कि असली लक्ष्य है – AI के फायदों को हर बच्चे तक पहुंचाना।
इसी दिशा में, अटल इनोवेशन मिशन के तहत सरकारी स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs) स्थापित की जा रही हैं, जहां बच्चों में वैज्ञानिक सोच और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर AI आधारित प्रयोग कराए जाएंगे।
स्किल इंडिया इकोसिस्टम में जुड़ेगी नई तकनीकें
संजय कुमार ने कहा कि 90 के दशक में जब कंप्यूटर, ईमेल और इंटरनेट आए थे, तब भी ऐसे ही संदेह उठे थे, लेकिन समय के साथ इन तकनीकों ने समाज और अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाए। उसी तरह, AI भी शिक्षा और रोजगार के नए अवसर लेकर आएगा।
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी (VR) और मिक्स्ड रियलिटी (MR) जैसी उभरती तकनीकों को स्किल इंडिया मिशन में शामिल किया जाए ताकि छात्र भविष्य के जॉब मार्केट में खुद को सशक्त बना सकें।
CBSE में बढ़ रही AI की लोकप्रियता
सीबीएसई ने वर्ष 2019 में पहली बार अपने स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय की शुरुआत की थी। तब से अब तक इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।
शैक्षणिक सत्र 2024-25 में देशभर के 4538 स्कूलों के करीब 7,90,999 छात्रों ने नौवीं और दसवीं कक्षा में AI को चुना, जबकि 944 स्कूलों के 50,343 छात्रों ने इसे सीनियर सेकेंडरी स्तर पर अपनाया।
मंत्रालय अब इस सफलता को सभी राज्यों तक ले जाने की दिशा में काम कर रहा है। आने वाले वर्षों में AI और मशीन लर्निंग कोर्सेज की मांग और बढ़ने की उम्मीद है।
AI शिक्षा : भारत के भविष्य की नींव
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब केवल एक तकनीक नहीं, बल्कि भविष्य की भाषा बन चुकी है। बच्चों को इसे समझने और उपयोग में लाने की क्षमता देना भारत को न केवल डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि उन्हें वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धी भी बनाएगा।
शिक्षा मंत्रालय का यह निर्णय न केवल शिक्षा प्रणाली में तकनीकी क्रांति की दिशा में कदम है, बल्कि यह नए भारत की नींव रखने वाली ऐतिहासिक पहल भी है।
मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।