सीहोर। सीहोर जिले के इछावर क्षेत्र में स्थित खिवनी अभयारण्य में 23 जून 2025 को हुई बड़ी कार्रवाई के चार महीने बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस दिन वन विभाग ने विस्थापन अभियान के तहत 50 से अधिक आदिवासी परिवारों के घर तोड़ दिए थे। अब इस पूरे प्रकरण ने नया मोड़ ले लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की शिकायत सामने आई है।
शिवराज पर आदिवासियों को उकसाने का आरोप
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी के आदिवासी परिवारों को वन भूमि पर कब्जा करने के लिए प्रेरित किया। इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) कार्यालय ने जांच के आदेश जारी किए हैं।
पूर्व आईएफएस अधिकारी ने की शिकायत
जानकारी के अनुसार, सिस्टम परिवर्तन अभियान के अध्यक्ष और पूर्व आईएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास ने 4 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस मामले में विस्तृत शिकायत भेजी थी।
शिकायत की प्रतियां मुख्य सचिव अनुराग जैन, एसीएस अशोक वर्णवाल, और तत्कालीन पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव को भी भेजी गई थीं।
डबास ने अपनी शिकायत में लिखा कि 23 जून को जब अभयारण्य में अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई, तो उसके तुरंत बाद शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों को साथ लेकर मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। इसके बाद तत्कालीन सीहोर डीएफओ मगन सिंह डाबर को हटा दिया गया और तब से अभयारण्य से जुड़ा पूरा काम ठप पड़ा हुआ है।
जांच की प्रक्रिया और अटकी रिपोर्ट
पीसीसीएफ कार्यालय ने 18 जुलाई 2025 को सीसीएफ कार्यालय को पत्र भेजकर 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद 24 जुलाई को सीसीएफ ने सीहोर डीएफओ को जांच का जिम्मा सौंपा।
सीहोर डीएफओ ने यह कार्यवाही एसडीएफओ बुधनी, सुकृति ओसवाल को सौंप दी।
हालांकि एसडीएफओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा कि चूंकि यह मामला एक केंद्रीय मंत्री से जुड़ा है, इसलिए इसकी जांच केवल वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ही की जा सकती है। रिपोर्ट वापस डीएफओ कार्यालय को भेज दी गई।
बाद में डीएफओ अर्चना पटेल ने भी यह राय दी कि उनके स्तर पर यह जांच संभव नहीं है, क्योंकि ऐसे मामलों की जांच उच्च अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए। इसलिए रिपोर्ट सीसीएफ कार्यालय को नहीं भेजी गई।
डीएफओ ने दी सफाई
डीएफओ अर्चना पटेल ने स्पष्ट कहा कि केंद्रीय मंत्री से संबंधित किसी भी शिकायत की जांच केवल वरिष्ठ अधिकारी ही कर सकते हैं। एसडीएफओ से प्राप्त प्रतिवेदन में भी यही सुझाव दिया गया है। इसलिए हमने रिपोर्ट आगे नहीं बढ़ाई।
क्या है पूरा मामला ?
23 जून 2025 को जब खिवनी अभयारण्य क्षेत्र में भारी बारिश के बीच अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई, तो 50 से अधिक आदिवासी परिवारों के घर गिरा दिए गए। कुछ दिनों बाद शिवराज सिंह चौहान स्वयं खिवनी खुर्द गांव पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।
वे एक आदिवासी परिवार के घर में करीब 15 मिनट तक रहे, उनके साथ भोजन किया और बरसाती के नीचे ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा
मैं आपका दर्द बांटने आया हूं। कुछ अधिकारियों ने अमानवीय कार्य किया है, उन्हें सजा मिलेगी। सरकार आदिवासियों और गरीबों के साथ है, किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
शिवराज ने वादा किया था कि जिन परिवारों के पास लंबे समय से कब्जा है, उन्हें पट्टे दिए जाएंगे। साथ ही, अपने सांसद स्वेच्छानुदान कोष से सभी 50 परिवारों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी। उन्होंने अधिकारियों को टीन शेड, राशन सामग्री और सड़क निर्माण कार्य तुरंत पूरा करने के निर्देश भी दिए थे।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और विरोध प्रदर्शन
भारी बारिश के दौरान हुई इस कार्रवाई के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं। लोगों ने विभाग की तीखी आलोचना की।
इसके बाद 27 और 29 जून को खातेगांव में धरना-प्रदर्शन हुए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने 28 जून को खिवनी का दौरा किया। वे कीचड़ भरे रास्तों से होकर प्रभावित गांवों तक पहुंचे और पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री और आर्थिक सहायता प्रदान की।
अब नजर जांच रिपोर्ट पर
अब पूरा मामला फिर से सुर्खियों में है। शिकायत दर्ज होने के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय की ओर से जांच आदेश जारी हो चुके हैं। हालांकि, यह जांच कौन-सा अधिकारी करेगा और रिपोर्ट कब तक आएगी — इस पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं।








