सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक बेहद पीड़ादायक और संवेदनशील घटना सामने आई है। गोपालगंज थाना क्षेत्र के श्मशान घाट में गुरुवार सुबह दिवंगत महिला की अस्थियों से छेड़छाड़ का मामला प्रकाश में आया। परिजन जब अंतिम संस्कार के तीन दिन बाद अस्थि-संग्रह (खारी उठाने) के लिए श्मशान पहुंचे, तो अस्थियां अपनी निर्धारित जगह से गायब मिलीं। थोड़ी देर बाद वे चबूतरे के नीचे पड़ी मिलीं, जिसे देखकर परिवार हतप्रभ और आहत हो गया।
घटना कैसे सामने आई
छत्रसाल आवासीय कॉलोनी निवासी जुगल किशोर नामदेव की पत्नी सियारानी नामदेव (52) का कुछ दिन पहले बीमारी के कारण निधन हुआ था। हिंदू परंपरा के अनुसार, गुरुवार की सुबह परिजन श्मशान घाट पहुंचे ताकि विधिपूर्वक अस्थि-संग्रह कर सकें।
लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें अस्थियां अपने स्थान पर नहीं मिलीं। परिजन ने तुरंत स्थानीय पुलिस को फोन कर सूचना दी। शिकायत पर डायल-112 टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की गई।
जांच के दौरान कुछ दूरी पर चबूतरे के नीचे अस्थियां पड़ी मिलीं, जिन्हें परिवार ने बेहद दुख के साथ एकत्र किया। इस घटना से श्मशान परिसर का माहौल भी गमगीन हो गया।
परिजनों का दुख और आरोप
मृतका के दामाद मनीष नामदेव ने कहा : हम सास की अस्थियां लेने आए थे, पर उन्हें उनके स्थान से गायब पाकर दिल टूट गया। किसी असामाजिक व्यक्ति ने यह हरकत की है। यह सिर्फ अस्थियों से छेड़छाड़ नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं पर गहरा प्रहार है।
परिजनों का कहना है कि इस तरह की घटना धार्मिक मर्यादा और सांस्कृतिक संवेदनाओं का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी और परिवार के साथ ऐसा न हो।
पुलिस ने शुरू की जांच
पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है और मामले की जांच जारी है। क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार:
अस्थियों को हिलाने या फेंकने के पीछे की मंशा का पता लगाया जा रहा है
श्मशान परिसर के आसपास मौजूद लोगों से पूछताछ की जा रही है
यह भी जांच होगी कि कहीं जानवरों या किसी अन्य कारण से अस्थियां अपने स्थान से हटकर तो नहीं गईं
स्थानीय स्तर पर चर्चा
घटना के बाद इलाके में नाराजगी और चिंता का माहौल है। श्मशान जैसे पवित्र स्थान पर इस तरह की हरकत ने लोगों के मन में सुरक्षा और सम्मान को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
परिवार ने मांग की है कि श्मशान घाटों पर सीसीटीवी, चौकीदार या सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए, ताकि धार्मिक स्थलों पर इस तरह की घटनाएं न हों।
यह मामला न केवल एक परिवार के दर्द को उजागर करता है बल्कि सामुदायिक संवेदनशीलता और धार्मिक आस्था की सुरक्षा की आवश्यकता भी बताता है। पुलिस जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि यह असामाजिक कृत्य था या किसी अन्य कारण से अस्थियां अपने स्थान से हटीं, लेकिन फिलहाल परिवार और समाज दोनों न्याय एवं जवाबदेही की उम्मीद कर रहे हैं।








