MP (इंदौर) शहर के महाराजा तुकोजीराव अस्पताल (MTH) में बुधवार को एक बेहद दुर्लभ और जटिल स्थिति में एक बच्ची का जन्म हुआ, जिसके दो सिर हैं लेकिन शरीर एक ही है। बच्ची की हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों की एक टीम लगातार उसकी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और उसे बचाने की भरसक कोशिश कर रही है।
2 लाख में एक मामला, लेकिन बचने की उम्मीद बेहद कम
डॉक्टरों के अनुसार इस प्रकार के जन्म बेहद असामान्य होते हैं। औसतन हर दो लाख बच्चों में से एक में ही ऐसा मामला देखने को मिलता है। इस केस में भी जन्म से पहले माता-पिता को लगा था कि वे जुड़वां बच्चों की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन जन्म के समय स्थिति कुछ और ही निकली। मेडिकल भाषा में इसे डाइसेफैलिक पैरापैगस ट्विन्स कहा जाता है।
मेडिकल साइंस के लिए चुनौती बना यह केस
यह मामला डॉक्टरों के लिए भी एक गंभीर केस स्टडी बन गया है। न केवल इसकी दुर्लभता बल्कि इसके पीछे के जेनेटिक कारण, बच्चे का जीवनकाल और भविष्य में आने वाली चिकित्सकीय एवं सामाजिक चुनौतियों को लेकर विशेषज्ञ अध्ययन कर रहे हैं।
जेनेटिक वजहों से हुई विकृति, पहले भी हो चुका था गर्भपात
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति मालपानी का कहना है कि इस प्रकार की विकृति का मुख्य कारण जेनेटिक होता है। उन्होंने बताया कि बच्ची की मां का इससे पहले भी गर्भपात हो चुका है, जिससे संकेत मिलता है कि इसमें आनुवंशिक दोष की संभावना अधिक है।
शरीर एक, दो सिर और दो ब्रेन स्वास्थ्य संबंधी कई जटिलताएं
बच्ची की शरीर रचना की बात करें तो उसके दो सिर हैं लेकिन एक ही शरीर है। हार्ट, लंग्स और अंग एक ही हैं, लेकिन दोनों सिरों की रीढ़ की हड्डियां अलग-अलग हैं। डॉक्टर नीलेश जैन के अनुसार बच्ची का वजन 2.8 किलोग्राम है, लेकिन उसमें दो दिल हैं — जिनमें से एक पूरी तरह विकसित नहीं है और दूसरा गंभीर रूप से दोषपूर्ण है। यह हार्ट दोनों ब्रेनों को ब्लड सप्लाई देने का प्रयास कर रहा है, जिससे उस पर अत्यधिक दबाव है।
सर्जरी संभव नहीं, डॉक्टर्स ने जताई असमर्थता
डॉ. मालपानी ने स्पष्ट किया कि दोनों सिर गर्दन से जुड़े होने के कारण इन्हें अलग करना मुमकिन नहीं है। देश में कुछ ऐसे केस सामने आए हैं जहां शरीर जुड़ा था लेकिन सिर नहीं, वहां सर्जरी संभव हुई थी। इस मामले में विशेषज्ञों ने अलग करने की सर्जरी को पूरी तरह नकार दिया है।
क्या बच्ची बच सकती है ?
डॉक्टरों का मानना है कि इस तरह की संरचना वाले बच्चों में जीवित रहने की संभावना 0.1% से भी कम होती है। कई बार ऐसे भ्रूण गर्भ में ही दम तोड़ देते हैं या जन्म के कुछ घंटे या दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाती है।
प्रसव पूर्व जांच में नहीं हो पाई पहचान
डॉ. नीलेश दलाल के मुताबिक, माता-पिता ने पहले कई अस्पतालों में दिखाया था और दो बार सोनोग्राफी करवाई थी। लेकिन दोनों रिपोर्ट्स में केवल इतना ही स्पष्ट था कि जुड़वां भ्रूण हो सकते हैं। भ्रूण की ग्रोथ और हार्टबीट सामान्य थी, इसलिए डॉक्टरों को स्थिति की वास्तविकता का अंदाजा नहीं हो पाया।
जन्म के समय से ही नाजुक स्थिति
डॉ. ज्योति प्रजापति ने बताया कि बच्ची के दोनों सिर से रोने की आवाज आई थी, जिससे संकेत मिला कि ब्रेनों को ऑक्सीजन मिल रही थी। फिर भी उसे सांस लेने में भारी दिक्कत हो रही थी, इसलिए उसे तुरंत नवजात गहन देखभाल इकाई (NICU) में भर्ती किया गया। बच्ची किडनी की समस्या से भी जूझ रही है और लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट पर है।
अंगों की संरचना और अन्य चुनौतियां
डॉ. दलाल के अनुसार सोनोग्राफी से पता चला कि बच्ची की दो किडनी, दो लीवर और दो पेट हैं — जो आपस में जुड़े हुए हैं। फेफड़ों का बीच का हिस्सा भी मिला हुआ है। इससे उसके संपूर्ण शरीर की कार्यप्रणाली बेहद जटिल हो जाती है।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
बच्ची की गंभीर हालत और अनिश्चित भविष्य को लेकर परिवार पूरी तरह टूट चुका है। मां खुद भी अस्पताल में भर्ती हैं और पिता इस स्थिति में कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं हैं। डॉक्टर लगातार बच्ची को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार कर रहे हैं कि यदि वह बच भी जाती है तो भविष्य में जीवन बहुत कठिन होगा न केवल बच्ची के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए।
मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।