MP News 🙁 इंदौर ) विजयादशमी पर इंदौर में प्रस्तावित शूर्पणखा के पुतला दहन कार्यक्रम को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस आयोजन पर रोक लगा दी है। दरअसल, पौरुष नाम की संस्था इस बार शूर्पणखा के प्रतीकात्मक पुतले में उन महिलाओं के चेहरे दिखाने जा रही थी, जो पति, बच्चों या परिवार की हत्या या हत्या की साजिश जैसे अपराधों में आरोपी हैं। इन्हीं चेहरों में से एक चेहरा सोनम रघुवंशी का भी शामिल था, जिस पर राजा रघुवंशी हत्याकांड का आरोप है।
संस्था ने 11 चेहरों वाला एक विशेष पुतला तैयार कराया था। इसमें सोनम रघुवंशी का चेहरा जोड़ने पर उसके परिवार और समाज ने कड़ी आपत्ति जताई। सोनम के भाई गोविंद रघुवंशी ने बुधवार को इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा को लिखित शिकायत देकर कार्यक्रम रोकने की मांग की। उनका कहना था कि मुकदमा अभी अदालत में लंबित है और बहन को दोषी साबित नहीं किया गया है। ऐसे में सार्वजनिक तौर पर उसका चेहरा जलाना न केवल मानसिक प्रताड़ना है, बल्कि यह उसकी छवि को भी नुकसान पहुंचाता है।
संस्था पौरुष की ओर से यह दावा किया गया कि उनका उद्देश्य किसी महिला का अपमान करना नहीं है, बल्कि समाज को यह संदेश देना है कि बुराई का अंत होना चाहिए। लेकिन रघुवंशी समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि इसमें “रघुवंशी” नाम और किसी व्यक्ति विशेष का चेहरा जोड़ना निंदनीय और अनुचित है।
गोविंद रघुवंशी ने दलील दी कि सोनम अभी अभियुक्त है, दोषी नहीं। ऐसे में उसे पुतले का हिस्सा बनाना कानूनन भी गलत है। उन्होंने इसे सीधा-सीधा मानसिक उत्पीड़न करार दिया।
दिलचस्प बात यह है कि राजा रघुवंशी की हत्या के बाद शुरुआती दौर में गोविंद ने राजा के परिवार से सहानुभूति जताई थी। वह खुद राजा की मां से मिले थे और बहन को सजा दिलवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन समय के साथ उनका रुख बदल गया और अब वे शिलॉन्ग कोर्ट में सोनम की जमानत के लिए प्रयास कर रहे हैं।
रघुवंशी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उमाशंकर रघुवंशी ने साफ कहा कि सार्वजनिक मंच पर सोनम का नाम और तस्वीर लगाना गलत है। यह न केवल उसकी व्यक्तिगत गरिमा पर चोट करता है, बल्कि पूरे समाज की छवि को धूमिल करता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस तरह के आयोजन पर रोक नहीं लगी तो इसका असर सामाजिक सौहार्द्र पर पड़ेगा।
समाज के अन्य प्रतिनिधियों का भी कहना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में किसी जाति, समाज या व्यक्ति को लक्ष्य बनाना खतरनाक है और इससे सामुदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है। उन्होंने प्रशासन से तुरंत दखल देने की मांग की है।
लगातार बढ़ते विवाद और विरोध को देखते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी है। अदालत ने साफ कहा कि जब तक मामला विचाराधीन है, तब तक किसी आरोपी के नाम या चेहरे को सार्वजनिक मंच पर इस तरह पेश करना उचित नहीं होगा।
फिलहाल, अदालत के आदेश के बाद इस बार शूर्पणखा पुतला दहन नहीं हो सकेगा। लेकिन इस विवाद ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि परंपरा और धार्मिक आयोजनों के नाम पर किसी विशेष समुदाय या व्यक्ति को प्रतीक बनाना कहां तक सही है।
मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।