सागर : कुनो के बाद मध्य प्रदेश को मिलेगा दूसरा चीता पुनर्वास केंद्र, 2026 में आएंगे नए चीते
मध्य प्रदेश के सागर और दमोह जिलों में फैला नौरादेही टाइगर रिजर्व अब चीतों के पुनर्वास का अगला केंद्र बनने जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को औपचारिक मंजूरी प्रदान कर दी है। यह निर्णय राज्य के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जिससे मध्य प्रदेश एक बार फिर राष्ट्रीय वन्यजीव मानचित्र पर विशेष पहचान हासिल करेगा।सूत्रों के अनुसार, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने नौरादेही परियोजना के लिए केंद्रीय कैम्पा फंड (CAMPA) से आवश्यक वित्तीय स्वीकृति भी दे दी है। इस बजट की मदद से रिजर्व क्षेत्र में चार क्वारेंटाइन बाड़े और एक सॉफ्ट रिलीज बाड़ा तैयार किए जाएंगे, ताकि नए आने वाले चीते सुरक्षित वातावरण में धीरे-धीरे स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ढल सकें।
दक्षिण अफ्रीका से आएंगे नए चीते
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि चीतों का अगला समूह दक्षिण अफ्रीका से वर्ष 2026 में नौरादेही लाया जाएगा। इससे पहले, कुनो नेशनल पार्क में किए गए सफल चीता ट्रांसलोकेशन के बाद अब नौरादेही को दूसरा पुनर्वास केंद्र बनाया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नौरादेही का लगभग 1200 वर्ग किलोमीटर का खुला घासीय इलाका, प्राकृतिक जलस्रोत और स्थानीय शिकार प्रजातियों की प्रचुरता इसे चीतों के बसने के लिए आदर्श बनाती है।
मध्य प्रदेश में होगी जैव-विविधता में वृद्धि
वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों का कहना है कि इस पहल से न केवल प्रदेश की पारिस्थितिकी सशक्त होगी बल्कि यह मध्य प्रदेश को “चीता स्टेट” के रूप में मजबूत पहचान भी दिलाएगी। चीतों की मौजूदगी से स्थानीय पर्यटन में भी बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे आसपास के इलाकों के लोगों को रोजगार और आर्थिक अवसर मिल सकेंगे।
कुनो से गांधी सागर तक फैला संरक्षण अभियान
वर्तमान में मध्य प्रदेश में कुल 27 चीते हैं। इनमें से 25 चीते श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क में और 2 चीते नीमच-मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य में छोड़े गए हैं। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2022 में नामीबिया से 8 और उसके बाद दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को भारत लाया गया था। कुनो परियोजना की सफलता के बाद अब राज्य सरकार का ध्यान नौरादेही पर केंद्रित है, ताकि चीतों की आबादी का दायरा और सुरक्षा दोनों बढ़ाई जा सकें।वन विभाग के अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि नौरादेही में चीता परियोजना शुरू होने से प्रदेश की जैव-विविधता संरक्षण की दिशा में एक नया अध्याय जुड़ेगा और भारत के वन्यजीव पुनर्वास मॉडल को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।








