मालथौन (सागर)। नगर में पिछले कई दिनों से एक जंगली बंदर ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। यह उत्पाती बंदर लगातार घरों में घुसकर सामान तोड़ रहा है, राह चलते लोगों पर हमला कर रहा है और अब तक 35 से अधिक लोगों को काटकर घायल कर चुका है। बावजूद इसके, प्रशासनिक विभागों के बीच जिम्मेदारी टालने का खेल जारी है और ठोस कार्रवाई के अभाव में नगरवासियों में दहशत का माहौल है।
सड़कों से घरों तक बंदर का उत्पात
स्थानीय लोगों के अनुसार यह बंदर अचानक हमला कर लोगों को काट देता है। कई बार वह घरों में घुसकर बच्चों और बुजुर्गों को भी निशाना बना चुका है। समाज के हर वर्ग—स्कूल जाने वाले बच्चे, दुकानदार से लेकर राहगीरों तक सभी में डर व्याप्त है। नगर के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सुबह-शाम घरों से बाहर निकलने में भी झिझक रहे हैं।
दो दिनों में कई लोग घायल
बुधवार को राय मोहल्ला में मोदी इलेक्ट्रॉनिक्स के संचालक शुभम मोदी और पड़ोस की एक महिला पर बंदर ने अचानक हमला कर दिया। दोनों को हाथ-पैर में गंभीर चोट आई और उन्हें अस्पताल पहुंचकर इलाज करवाना पड़ा। इसी दिन मोहल्ले के अन्य चार लोगों को भी बंदर ने काटा।
गुरुवार को चौराहा क्षेत्र स्थित जूता-चप्पल की दुकान पर बैठे एक व्यक्ति पर भी इस बंदर ने हमला कर दिया। मालथौन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉ. विक्रांत गुप्ता के अनुसार, बुधवार और गुरुवार दोपहर तक छह लोग बंदर के काटने की शिकायत लेकर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।
शिकायतें, लेकिन कार्रवाई शून्य
नगरवासियों का आरोप है कि कई बार शिकायतों के बावजूद कोई विभाग ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा। बंदर को पकड़ने की जिम्मेदारी को लेकर नगर पालिका और वन विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। इस उदासीन रवैये से लोगों में आक्रोश है और यह भय भी कि किसी दिन बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
प्रशासन का पल्ला झाड़ना
प्रभु शंकर खरे, सीएमओ मालथौन ने कहा, नगर पालिका के पास जंगली जानवर पकड़ने का संसाधन नहीं है। यह काम वन विभाग का है। हम सहयोग देने को तैयार हैं, लेकिन मुख्य कार्रवाई उन्हें करनी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर नीतेश कुमार सोनी, रेंजर मालथौन, ने मामले की जिम्मेदारी नगर निकाय पर डालते हुए कहा,
“यह लाल मुंह वाला बंदर वन्य प्राणी सूची से बाहर है। इसे पकड़ने की जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है। वही कार्रवाई करें।
लोगों में बढ़ता गुस्सा और भय
लगातार बढ़ रहे हमलों के बाद नागरिक प्रशासन की निष्क्रियता से नाराज हैं और बंदर को जल्द पकड़ने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि स्थिति यही रही तो बच्चों और बुजुर्गों के लिए बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाएगा।








