1.45 करोड़ रुपये लूट कांड:सिवनी में बड़ा पुलिस घोटाला, डीजीपी ने की कार्रवाई
सिवनी जिले में जांच के दौरान 1.45 करोड़ रुपये की कथित लूट और संदिग्ध आचरण में लिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का दायरा और बढ़ गया है। पहले नौ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित करने के बाद अब इस मामले में एसडीओपी (सीएसपी) पूजा पांडे को भी 10 अक्टूबर को डीजीपी कैलाश मकवाना ने निलंबित कर दिया है। उन्हें पुलिस मुख्यालय, भोपाल में अटैच किया गया है।
नौ पुलिसकर्मी पहले ही निलंबित, अब जांच का दायरा बढ़ा
इससे पहले, 9 अक्टूबर की रात जबलपुर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा ने जांच दल में शामिल नौ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था। इनमें बंडोल थाना प्रभारी और उपनिरीक्षक अर्पित भैरम भी शामिल हैं। यह वही टीम थी जो सीलादेही फोरलेन पर चेकिंग के दौरान संदिग्ध वाहन से नकदी बरामद करने में शामिल थी। उस समय टीम का नेतृत्व एसडीओपी पूजा पांडे कर रही थीं। पुलिस मुख्यालय को उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पहले ही भेजा गया था, जिस पर अब आदेश जारी हो गया है।
1.45 करोड़ बरामद, लेकिन जब्ती की कार्रवाई नहीं की गई
पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मेहता के अनुसार, बरामद की गई 1.45 करोड़ रुपये की राशि के स्रोत और स्वामित्व की जांच जारी है। फरियादी ने अपनी शिकायत में बताया है कि जीप में कुल 2 करोड़ 96 लाख 50 हजार रुपये थे, जिनमें से केवल 1.45 करोड़ रुपये ही पुलिस के पास हैं। इस विसंगति ने पूरे मामले को संदिग्ध बना दिया है।
जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जबलपुर रेंज आईजी ने एएसपी आयुष गुप्ता को सिवनी भेजा है। उन्हें तीन दिनों में पूरे घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई जानकारी, रातभर मामला दबाने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, जब्त रकम महाराष्ट्र के जालना जिले के सोना-चांदी व्यापारी सोहनलाल परमार की बताई जा रही है। वह अपने ड्राइवर और सहयोगी के साथ 8 अक्टूबर की रात कटनी से जालना की ओर जा रहा था। रास्ते में सीलादेही फोरलेन पर पूजा पांडे के नेतृत्व में हो रही चेकिंग के दौरान उनकी जीप (एमएच 13 ईके 3430) को रोका गया।
जांच के दौरान पुलिसकर्मियों को बड़ी मात्रा में नकदी मिली। आरोप है कि पुलिस ने ड्राइवर और उसके साथी से मारपीट कर उन्हें भगा दिया और रकम कब्जे में ले ली। इसके बाद सुबह तक न तो जब्ती की कोई कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई और न ही वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई।
व्यापारी ने की शिकायत, रफा-दफा करने का प्रयास हुआ नाकाम
पीड़ित व्यापारी जब गुरुवार सुबह सिवनी कोतवाली पहुंचा और शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया, तो उसे एसडीओपी कार्यालय बुलाकर मामला शांत करने की कोशिश की गई। लेकिन जब यह बात जबलपुर और भोपाल तक पहुंची, तो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया।
वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई की। आईजी प्रमोद वर्मा ने उसी रात नौ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया, जबकि सीएसपी पूजा पांडे के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव डीजीपी कार्यालय भेजा गया था, जिस पर अब अमल किया गया है।
निलंबित पुलिसकर्मियों की सूची
संदिग्ध आचरण में लिप्त पाए गए पुलिसकर्मियों में शामिल हैं –
अर्पित भैरम, उपनिरीक्षक एवं बंडोल थाना प्रभारी
माखन, प्रधान आरक्षक (एसडीओपी कार्यालय)
रविंद्र उईके, रीडर
जगदीश यादव, प्रधान आरक्षक
योगेंद्र चौरसिया, प्रधान आरक्षक
रितेश, आरक्षक चालक
केदार व सदाफल, गनमैन (8वीं वाहिनी, विसबल छिंदवाड़ा)
नीरज राजपूत, आरक्षक, बंडोल थाना
इन सभी को पुलिस लाइन सिवनी में अटैच किया गया है।
जांच के बाद खुल सकते हैं और नाम
मामला अभी भी जांच के अधीन है। सूत्रों का कहना है कि रकम का कुछ हिस्सा अब भी बरामद नहीं हुआ है और जांच में अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका भी सामने आ सकती है। विभागीय सूत्रों का मानना है कि यह प्रकरण पुलिस की साख पर गहरा धब्बा है और उच्च अधिकारी इसे ‘मनी लूट केस’ की तरह देख रहे हैं।
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