छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में संदिग्ध कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। जांच में कफ सिरप में घातक रसायन पाए जाने के बाद अब पुलिस ने इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कदम उठाए हैं। तमिलनाडु की श्रेषन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी और स्थानीय डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।
देर रात डॉक्टर की गिरफ्तारी
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अजय पांडेय ने बताया कि परासिया के बीएमओ डॉ. अंकित सहलाम की शिकायत पर डॉ. प्रवीण सोनी के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद एसपी की विशेष टीम ने देर रात राजपाल चौक क्षेत्र से डॉक्टर सोनी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि इस मामले में “कठोर कानूनी कार्रवाई” की जा रही है और जांच का दायरा लगातार बढ़ाया जा रहा है।
कटारिया फार्मा पर भी गिरी गाज
इधर, जबलपुर के नौदराब्रिज स्थित कटारिया फार्मा को भी प्रशासन ने सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा में जिन बच्चों ने जिस कफ सिरप का सेवन किया था, वह इसी कंपनी से सप्लाई हुआ था। यह कार्रवाई ऐसे समय हो रही है जब सोमवार को मुख्यमंत्री के नगर दौरे की तैयारी चल रही है, जिससे प्रशासन और पुलिस दोनों सतर्क मोड पर हैं।
श्रेषन फार्मास्यूटिकल्स पर गंभीर धाराओं में केस
छिंदवाड़ा पुलिस ने श्रेषन फार्मास्यूटिकल्स (कांचीपुरम, तमिलनाडु) के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। इनमें दवाओं में मिलावट (Adulteration of Drugs) और हत्या की श्रेणी में आने वाला आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide)” जैसी धाराएं शामिल हैं। इसके अलावा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा रही है। इन धाराओं में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
अब तक 14 मासूमों की मौत, 10 की पुष्टि
इस कफ सिरप कांड ने जिले में मातम का माहौल पैदा कर दिया है। अब तक 14 बच्चों की मौत की जानकारी सामने आई है, हालांकि प्रशासन ने 10 मौतों की आधिकारिक पुष्टि की है। स्वास्थ्य विभाग की प्रयोगशाला रिपोर्ट में सिरप में खतरनाक रसायन की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जिसके बाद सरकार ने तत्काल प्रभाव से दो ब्रांड के कफ सिरप पर प्रदेशभर में प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रदेशव्यापी जांच और सख्त निर्देश
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रदेश में कफ सिरप की गुणवत्ता की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही, सभी जिलों में दवा दुकानों और डिस्ट्रीब्यूटर्स की निगरानी बढ़ाई जा रही है ताकि इस तरह की त्रासदी दोबारा न हो।
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