CBI की हाई-टेक कार्रवाई: 20 साल से फरार 8 करोड़ के बैंक घोटाले की आरोपी महिला गिरफ्तार
करीब दो दशकों तक कानून की आंखों में धूल झोंककर फरार रही एक महिला आखिरकार CBI के शिकंजे में आ गई। करोड़ों की बैंक धोखाधड़ी में वांटेड इस महिला को केंद्रीय जांच एजेंसी ने मध्य प्रदेश के इंदौर से धर दबोचा। हाई-टेक तकनीकों का सहारा लेते हुए CBI ने इमेज सर्च और फेस मैचिंग टूल्स के ज़रिए उसकी पहचान और लोकेशन को ट्रेस किया।
यह मामला साल 2006 में दर्ज हुआ था, जब CBI ने इंडो मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड और BTC होम प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनियों के डायरेक्टर्स आर. एम. शेखर और मणि एम. शेखर के खिलाफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बेंगलुरु ओवरसीज़ ब्रांच को करीब 8 करोड़ रुपये का चूना लगाने के आरोप में केस दर्ज किया था।
कैसे हुआ फ्रॉड
जांच में सामने आया कि वर्ष 2002 से 2005 के बीच आरोपियों ने बैंक से मिली नॉन-फंड आधारित लिमिट्स का दुरुपयोग कर मोटी रकम हड़प ली थी। इस केस में CBI ने 10 दिसंबर 2007 को चार्जशीट दाखिल की, लेकिन दोनों आरोपी तब से ही फरार थे। आखिरकार कोर्ट ने 27 फरवरी 2009 को उन्हें घोषित भगोड़ा घोषित कर दिया और CBI ने हर एक आरोपी पर ₹50,000 का इनाम घोषित कर दिया।
पहचान बदलकर जी रही थी नई ज़िंदगी
CBI की तफ्तीश में खुलासा हुआ कि आरोपी दंपति नाम और पहचान बदलकर समाज में घुलमिल गए थे। पति आर. एम. शेखर ने खुद को कृष्ण कुमार गुप्ता और मणि एम. शेखर ने खुद को गीता कृष्णा कुमार गुप्ता के नाम से स्थापित कर लिया था। इन्होंने सिर्फ नाम ही नहीं बल्कि मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, पैन कार्ड समेत हर दस्तावेज में खुद को पूरी तरह बदल डाला।
ऐसे हुई पहचान टेक्नोलॉजी बनी हथियार
CBI ने पुराने रिकॉर्ड में मौजूद तस्वीरों की तुलना उन्नत फेस रिकग्निशन और इमेज सर्च टूल्स की मदद से की। जब 90% से ज्यादा चेहरा मेल खा गया, तो इंदौर में फील्ड वेरिफिकेशन किया गया। कुछ ही समय बाद एजेंसी की टीम ने आरोपी महिला को पकड़ लिया।
पति की पहले ही हो चुकी है मौत
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी पति आर. एम. शेखर की वर्ष 2008 में ही मृत्यु हो चुकी थी जब वह पहले से नई पहचान के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था।
CBI ने 12 जुलाई 2025 को महिला को इंदौर से गिरफ्तार किया और उसे बेंगलुरु की अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
20 साल बाद खुलेगा इंसाफ का रास्ता
करीब 20 वर्षों की लंबी चुप्पी और फरारी के बाद अब इस बैंक फ्रॉड केस में न्यायिक प्रक्रिया फिर से शुरू होगी। CBI की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि चाहे अपराधी कितनी भी पहचान बदल लें कानून की पकड़ से बचना आसान नहीं।
मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।