होम देश / विदेश मध्यप्रदेश राजनीति धर्म/अध्यात्म ऑटोमोबाइल सरकारी योजना खेल समाचार
By
On:

जलंधर धाम का प्राचीन मां ज्वाला देवी मंदिर: पद्मासन में विराजमान अद्वितीय स्वरूप, नवरात्रि में लगता है मेला

जरुआखेड़ा (सागर)। सागर जिले से ...

[post_dates]

Sub Editor

Published on:

whatsapp

जरुआखेड़ा (सागर)। सागर जिले से करीब 45 किलोमीटर दूर सुरखी विधानसभा के जलंधर गांव में स्थित मां ज्वाला देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और अद्वितीयता के कारण पूरे देश में अलग पहचान रखता है। यहां मां काली का स्वरूप शांत मुद्रा में पद्मासन में विराजमान है, जबकि अन्य स्थानों पर मां काली प्रायः उग्र और विकराल रूप में ही दिखाई देती हैं।

मां ज्वाला देवी मंदिर की विशेषता

मंदिर की प्रतिमा एक ही शिला पर बनी है और इसकी जीभ गले तक दिखाई देती है।

मूर्ति पर देवी-देवताओं के कई स्वरूप अंकित हैं, जो इसे और भी चमत्कारी बनाते हैं।

पुरातत्वविद अब तक इसकी सही प्राचीनता का अनुमान नहीं लगा पाए हैं।

यहां के प्राचीन शिवलिंग और अवशेष इस धाम के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।

पुजारी उद्धवदास महाराज बताते हैं कि करीब 25 साल पहले उन्होंने मंदिर में सेवा शुरू की थी। उस समय भक्त चोला चढ़ाकर चले जाते थे। जब चोला उतारा गया तो उसका वजन लगभग 85 किलो था। धीरे-धीरे मां ज्वाला देवी की पूरी प्रतिमा का स्वरूप भक्तों के सामने प्रकट हुआ।

धार्मिक महत्व और मान्यता

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां महाकाली का स्वरूप शांत और सौम्य है। मूर्ति के मुकुट के पीछे मां काली का उग्र रूप है, जिसके नीचे भगवान शिव दिखाई देते हैं। मान्यता है कि शिव के चरणों में आने के बाद ही मां का क्रोध शांत हुआ और वे पद्मासन में विराजमान हुईं।

प्रतिमा में अमृत कलश, सात ज्वालाएं, उमा, रमा, ब्रह्माणी, दुर्गा, काली, हनुमान, भैरव, नंदी, गणेशजी और रिद्धि-सिद्धि के स्वरूप भी अंकित हैं। यह अनोखा स्वरूप भारत के किसी अन्य मंदिर में नहीं मिलता।

दंतकथाओं और इतिहास से जुड़ा धाम

ग्रामीणों के अनुसार यह मंदिर मुगल काल से पहले का है। यहां छात्रसाल महाराज की अटारी के अवशेष आज भी मौजूद हैं। माना जाता है कि वीर आल्हा-उदल भी नवरात्रि में यहां उपासना करने आते थे।

इस क्षेत्र की एक खास बात यह भी है कि यहां के पत्थरों को आपस में टकराने पर मंजीरे जैसी मधुर ध्वनि निकलती है।

नवरात्रि में विशेष आयोजन और मेला

मां ज्वाला देवी मंदिर जलंधर में चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन होता है। भक्त दूर-दूर से पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते हैं और माता को चुनरी, ज्वारे, ध्वजा और घंटा अर्पित करते हैं।

सालभर यहां धार्मिक अनुष्ठान और मांगलिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं, जिनमें सत्यनारायण कथा, नववर्ष पूजन, बैशाखी, आषाढ़ी पूजा, मुंडन और विवाह शामिल हैं।

प्राकृतिक और धार्मिक सौंदर्य का संगम

जंगल के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर प्राकृतिक रूप से भी अत्यंत आकर्षक है। यहां का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को विशेष शांति और शक्ति का अनुभव कराता है।

सागर जिले का जलंधर धाम स्थित मां ज्वाला देवी मंदिर आस्था, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम है। पद्मासन में विराजमान मां काली का यह स्वरूप पूरे देश में अद्वितीय है। नवरात्रि के समय यहां का मेला और भक्तों का उत्साह इस धाम को और भी खास बना देता है।

(जरुआखेड़ा से जितेंद्र यादव की रिपोर्ट)
Join our WhatsApp Group
Sub Editor

मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
प्रमुख खबरें
View All
error: RNVLive Content is protected !!