मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 14 वर्षीय रेप पीड़िता के मामले में सरकार से मांगी जवाबदेही, लापरवाही पर जताई चिंता
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक 14 वर्षीय नाबालिग रेप पीड़िता के मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। बच्ची सात माह से अधिक गर्भवती है, और हाईकोर्ट ने यह जानने की आवश्यकता जताई है कि गर्भ इस हद तक कैसे बढ़ गया और किन स्तरों पर लापरवाही हुई।
यह आदेश जस्टिस दीपक खोत की समर वेकेशन बेंच ने दिया। दरअसल, बालाघाट जिले के बहला थाना क्षेत्र की इस बच्ची के गर्भपात के लिए जिला न्यायाधीश की ओर से हाईकोर्ट को पत्र भेजा गया था। कोर्ट ने इस पत्र को स्वतः संज्ञान लेते हुए याचिका मानकर सुनवाई शुरू की। अगली सुनवाई 9 जून को निर्धारित की गई है।
राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील अंशुमन स्वामी अदालत में उपस्थित रहे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फरवरी 2025 में जारी की गई गाइडलाइन का उल्लेख किया, जिसके अनुसार अगर कोई नाबालिग पीड़िता 24 सप्ताह से अधिक गर्भवती हो, तो गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का मार्गदर्शन आवश्यक होगा।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 26 मई को प्राप्त पत्र के साथ संलग्न सिविल सर्जन की रिपोर्ट में कई आवश्यक जानकारियों का अभाव है। रिपोर्ट में न तो यह स्पष्ट है कि एफआईआर कब दर्ज हुई, न ही यह कि फरवरी में जारी निर्देशों का पालन हुआ या नहीं।
लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई
कोर्ट ने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि गर्भपात प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हुई। न्यायालय ने संकेत दिया है कि मामले में कहीं न कहीं लापरवाही जरूर हुई है, जिसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल गर्भपात की अनुमति देना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह स्थिति बनी, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।