मालथौन (सागर)। मालथौन विकासखंड में किसानों के साथ बड़े पैमाने पर ठगी का मामला सामने आया है। जैविक खाद और डीएपी देने के नाम पर एक संगठित गिरोह ने किसानों से लाखों रुपये ऐंठ लिए और उसके बाद क्षेत्र से गायब हो गया। यह पूरी वारदात उस समय घटित हुई जब किसान पहले से ही खाद की कमी और खराब मौसम से जूझ रहे थे।
जैविक खेती का लालच देकर कराई एडवांस रकम जमा
स्थानीय किसानों के अनुसार, ठगों ने खुद को जैविक खेती को बढ़ावा देने वाले सलाहकार बताकर विश्वास हासिल किया। उन्होंने किसानों को समझाया कि वे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद वितरित कर रहे हैं। योजना के तहत किसानों से खाद की आधी राशि अग्रिम जमा करने और बाकी रकम फसल कटने के बाद देने की बात कही गई।विश्वास में आकर किसानों ने हजारों से लेकर लाखों रुपये तक की रकम ठगों को सौंप दी। इसके बदले उन्हें जो खाद दिया गया, बाद में वह नकली निकली। घटना के बाद जब किसानों ने संबंधित व्यक्तियों से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनके दिए मोबाइल नंबर या तो बंद थे या लगातार व्यस्त बताने लगे।
दर्जनों गांव बने जालसाजी के शिकार
यह गिरोह किसी एक गांव तक सीमित नहीं था। मालथौन विकासखंड के बरोदिया कलां, खटोरा, रमपुरा, नीमखेड़ा, समसपुर और दरी जैसे एक दर्जन से अधिक गांवों में किसानों को निशाना बनाया गया। हर गांव में ठगों ने ‘खाद की स्कीम’ बताकर भरोसा दिलाया कि वे किसानों को सरकारी रेट से सस्ती दर पर जैविक खाद उपलब्ध कराएंगे।किसानों का कहना है कि ठगों ने योजनाबद्ध तरीके से सक्रियता दिखाई और आपदा में अवसर तलाशा। भारी बारिश और फसल खराब होने के बाद जब किसानों को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब इस गिरोह ने मौके का फायदा उठाया।
पुलिस में शिकायत, जांच शुरू
पीड़ित किसानों ने अब मालथौन थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। समसपुर के कुछ किसानों ने बताया कि ठगी में शामिल एक व्यक्ति की फोटो भी उनके पास है, जो सबूत के रूप में पुलिस को सौंपी जा चुकी है।
प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि ठग प्रदेश के बाहर से आए थे और उन्होंने स्थानीय संपर्कों के जरिए किसानों तक पहुंच बनाई थी।
किसान मुसीबत में, प्रशासन पर सवाल
मौसम की मार और खाद की किल्लत से परेशान किसान अब आर्थिक रूप से बड़ी चोट झेल रहे हैं। कई किसान खरीफ सीजन में पहले ही फसल खराब होने की वजह से बीज तक नहीं बचा पाए थे। अब इस ठगी ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं। ग्रामीण इलाकों में ऐसी घटनाएं प्रशासनिक सतर्कता पर भी प्रश्न खड़ा कर रही हैं।स्थानीय लोगों ने मांग की है कि पुलिस ऐसे गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ताकि भविष्य में किसान इस तरह की धोखाधड़ी से बच सकें।








