नौरादेही टाइगर रिजर्व में जीवन की वापसी: खाली गांवों में लहलहाए घास के मैदान, काले हिरणों की संख्या में बूम
मध्य प्रदेश का वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) अब वन्य जीवन का नया केंद्र बनता जा रहा है। यहां से विस्थापित हुए गांवों की खाली जमीन अब हरे-भरे घास के मैदान में बदल चुकी है, जो शाकाहारी वन्यजीवों के लिए आदर्श निवास बन गए हैं। इसका सबसे शानदार नतीजा काले हिरणों की बढ़ती संख्या के रूप में सामने आ रहा है।
ग्रासलैंड बना रहे हैं काले हिरणों की नई दुनिया
नौरादेही टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ वर्षों में बड़े पैमाने पर गांवों का विस्थापन हुआ, जिनकी खाली पड़ी जमीनों पर अब घास के विस्तृत मैदान विकसित किए जा रहे हैं। इन मैदानों ने न सिर्फ जंगल की खूबसूरती बढ़ाई है, बल्कि शाकाहारी वन्यजीवों को भी भरपूर भोजन और सुरक्षित आश्रय दिया है। खासतौर पर काले हिरणों की संख्या में यहां तेजी से वृद्धि हो रही है।
टाइगर रिजर्व में पहुंचे पर्यटकों को अब झुंड के झुंड काले हिरण दौड़ते और कुलांचे भरते हुए दिखाई दे रहे हैं। वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने भी अपने दौरे के दौरान इन दुर्लभ प्रजाति के हिरणों को कैमरे में कैद किया। उनका कहना है, “काले हिरणों का यहां बड़ी संख्या में दिखना बेहद सकारात्मक संकेत है। ये न केवल जंगल के स्वास्थ्य को दिखाते हैं, बल्कि बाघों और भविष्य में बसाए जाने वाले चीतों के लिए भी संतुलित पारिस्थितिकी का आधार तैयार कर रहे हैं।”
क्यों महत्वपूर्ण हैं घास के मैदान?
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी टाइगर रिजर्व में घास के बड़े मैदान बेहद जरूरी होते हैं। यही मैदान शाकाहारी जीवों का भोजन उपलब्ध कराते हैं और इनके प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण बनाते हैं। शाकाहारी जानवरों की बढ़ती संख्या मांसाहारी जानवरों जैसे बाघों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध कराती है, जिससे पूरी खाद्य श्रृंखला मजबूत होती है।
नौरादेही में तेजी से विकसित हो रहे ग्रासलैंड न केवल हिरणों को आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि यह भविष्य में चीता परियोजना के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने भी नौरादेही में चीता बसाने के पूर्व सर्वेक्षण में घास के मैदान बढ़ाने की सिफारिश की थी।
प्रबंधन की योजना: 12 प्रतिशत तक घास के मैदान
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए ए अंसारी बताते हैं, “वर्तमान में रिजर्व क्षेत्र का करीब 6-7 प्रतिशत हिस्सा घास के मैदान से आच्छादित है। हमारा लक्ष्य इसे 12 प्रतिशत तक ले जाने का है। काले हिरण को घास के खुले मैदान बहुत पसंद हैं और इनकी संख्या में वृद्धि, रिजर्व की पारिस्थितिकी के लिए बेहतरीन संकेत है। यहां काले हिरण और भेड़ियों का अनोखा सह-अस्तित्व भी देखने को मिल रहा है, जो पूरे सिस्टम के संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।”
नया जीवन, नई उम्मीदें
नौरादेही टाइगर रिजर्व में घास के मैदानों का विस्तार, शाकाहारी जानवरों की बढ़ती आबादी और काले हिरणों की वापसी इस बात का प्रमाण है कि अगर प्रकृति को सही तरीके से अवसर दिया जाए, तो जीवन खुद लौट आता है। नौरादेही अब न सिर्फ बाघों के लिए बल्कि भविष्य में चीतों के लिए भी एक सुरक्षित और समृद्ध घर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।