MP : मंडला जिले में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) अरविंद विश्वकर्मा को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की टीम ने गुरुवार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। चौंकाने वाली बात यह रही कि रिश्वत की रकम डीपीसी की पत्नी के हाथों में पकड़ी गई, जिसके बाद दोनों को मौके पर ही हिरासत में ले लिया गया। इस कार्रवाई में सहायक परियोजना समन्वयक (APC) को भी सह-आरोपी बनाया गया है।
मान्यता के नाम पर मांगी थी भारी रिश्वत
मामला एक निजी स्कूल विद्या निकेतन ग्राम ककैया से जुड़ा है। आरोप है कि डीपीसी ने स्कूल को मान्यता दिलाने के नाम पर 1 लाख 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। स्कूल भवन अधूरा होने के कारण उसकी मान्यता रद्द कर दी गई थी। अब मान्यता को बहाल करने और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए यह अवैध रकम ली जा रही थी।
स्कूल संचालक रविकांत नंदा पहले ही 50 हजार रुपये की पहली किस्त डीपीसी को दे चुके थे। इसके बाद शेष 60 हजार रुपये की मांग दोबारा की गई।
रिलायंस पेट्रोल पंप पर बिछा जाल
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने शिकायत मिलने पर पहले ही जाल बिछा दिया था। तय समय पर स्कूल संचालक रविकांत नंदा 60 हजार रुपये लेकर मंडला के बिंझिया स्थित रिलायंस पेट्रोल पंप पहुंचे। यहां अरविंद विश्वकर्मा ने पैसे सीधे लेने के बजाय पत्नी को लिफाफा पकड़ाने को कहा। जैसे ही रकम पत्नी के हाथ में पहुंची, ईओडब्ल्यू की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों को धर दबोचा।
ईओडब्ल्यू की टीम की कार्रवाई
पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व ईओडब्ल्यू डीएसपी स्वर्ण जीत सिंह धामी ने किया। गिरफ्तारी के बाद टीम ने आरोपियों को PWD रेस्ट हाउस ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहराई से जांच की जाएगी और अन्य संबंधित लोगों की भूमिका भी खंगाली जाएगी।
जिले में मचा हड़कंप
इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। डीपीसी जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी की इस हरकत से न केवल विभाग की साख पर सवाल उठे हैं, बल्कि जिले में शिक्षा संबंधी मान्यता प्रक्रियाओं पर भी संदेह गहरा गया है।
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