मालथौन। जनपद पंचायत कार्यालय मालथौन में मंगलवार को विकासखंड के कई ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। सरपंचों ने आरोप लगाया कि जनपद पंचायत के अधिकतर अधिकारी और कर्मचारी कार्यालय में मौजूद नहीं रहते, जिसके कारण पंचायतों के विकास कार्य अटक गए हैं। नाराज प्रतिनिधि सीईओ सचिन गुप्ता के कक्ष के सामने एकत्र हुए और कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अपनी मांगें रखीं।सैकड़ों सरपंचों ने कहा कि जनपद कार्यालय में कामकाज करने के लिए वे जब भी आते हैं, तो वहां अधिकारी या कर्मचारी नहीं मिलते। सरपंच संघ के अध्यक्ष भरतलाल तिवारी ने बताया कि कई बार शिकायत के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ। उनके अनुसार, सभी अधिकारी सप्ताह में कम से कम दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को कार्यालय में मौजूद रहें, इस संबंध में पहले भी लिखित शिकायत सीईओ को सौंपी जा चुकी है। बावजूद इसके, अधिकारी नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो रहे हैं, जिससे विकास योजनाओं की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
सीईओ ने दी सफाई, सरपंचों ने जताई नाराजगी
विरोध के दौरान जब सरपंचों ने सीईओ सचिन गुप्ता से सीधे सवाल किए कि वे स्वयं भी समय पर कार्यालय क्यों नहीं आते, तो सीईओ ने अपनी ओर से सफाई दी और कहा कि प्रशासनिक कार्यों के चलते उन्हें क्षेत्र भ्रमण पर जाना पड़ता है। हालांकि, सरपंचों ने यह तर्क मानने से इंकार करते हुए स्पष्ट कहा कि यदि अधिकारी स्थायी रूप से उपस्थित नहीं होंगे, तो जनहित से जुड़े कार्य पूर्ण नहीं हो पाएंगे।
कार्यालय कक्ष को लेकर भी विवाद, दी आंदोलन की चेतावनी
सरपंच संघ ने एक और मुद्दा उठाते हुए बताया कि पिछले माह जनपद सीईओ द्वारा सरपंचों की बैठक के लिए एक कक्ष आवंटित किया गया था। प्रारंभ में सरपंच इस कमरे में बैठकर पंचायत संबंधी चर्चा और योजनाओं की समीक्षा करते थे, लेकिन कुछ दिनों बाद वह कमरा वापस लेकर जनपद उपाध्यक्ष को दे दिया गया। इससे सरपंचों में नाराजगी फैल गई है।संघ ने चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों के भीतर सरपंचों को पुनः बैठक के लिए नियत कक्ष नहीं दिया गया, तो वे जनपद कार्यालय के सामने धरना देंगे और आंदोलन को तेज करेंगे। सरपंचों का कहना है कि वे सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, परंतु प्रशासनिक सहयोग के बिना यह संभव नहीं है।स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस विरोध ने मालथौन जनपद पंचायत कार्यालय के कामकाज पर भी असर डाला है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पंचायत प्रशासन इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है।








