भीषण गर्मी में मासूमों के साथ मदद की गुहार: करंट से पति की मौत के बाद कलेक्टर कार्यालय पहुंची बेबस मां
सागर। सागर की झुलसा देने वाली गर्मी में जब लोग घरों से निकलने में भी हिचकते हैं, ऐसे में एक बेबस मां अपने चार मासूम बच्चों को गोद और हाथ में थामे, उम्मीद की डोर पकड़े कलेक्ट्रेट पहुंची। मंगलवार को जब शहर का तापमान 44 डिग्री तक जा पहुंचा, उसी दोपहर लगभग 1 बजे जैसीनगर तहसील के ग्राम अगरा निवासी पुष्पा अहिरवार अपने नन्हें-नन्हें बच्चों के साथ कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में पहुंचीं।
धूप इतनी तीखी थी कि सड़कों से गर्म हवा के थपेड़े उठ रहे थे, लेकिन पुष्पा के पैरों में थकावट नहीं थी। शायद एक मां अपने बच्चों के पेट की भूख से बड़ी कोई गर्मी नहीं मानती।
पुष्पा की आंखों में बस एक ही सवाल था – “अब मेरे बच्चों का क्या होगा?”
26 मार्च 2025 का दिन उसकी जिंदगी में कभी न भूलने वाला बन गया, जब उसके पति फूल सिंह अहिरवार की करंट लगने से मौत हो गई। फूल सिंह मजदूरी करके परिवार का पेट पालते थे। उनकी मौत के बाद परिवार जैसे बेसहारा हो गया है। पति के गुजर जाने के बाद भी अब तक शासन से कोई मदद नहीं मिली।
जनसुनवाई में पहुंचकर पुष्पा ने अधिकारियों से अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए आर्थिक सहायता की गुहार लगाई। कांपती आवाज और डबडबाई आंखों से उसने बस यही कहा – “साहब, मेरे बच्चों को भूखा मत मरने देना।”
चार मासूम, जिनमें से कोई मां की ऊंगली थामे था, तो कोई गोद में सिर रखकर तपती धूप से बचने की कोशिश कर रहा था। उन मासूम आंखों में ना तो इस दुनिया की समझ थी, ना हालातों की चिंता, लेकिन शायद हालात ने उन्हें वक़्त से पहले बड़ा बना दिया।
यह दृश्य वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर गया।
पुष्पा का कहना है कि उसके पति की मौत के बाद से वह दर-दर भटक रही है, लेकिन अभी तक न तो किसी प्रकार की आर्थिक सहायता मिली है और न ही परिवार के लिए कोई योजना का लाभ। उसने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसके बच्चों के भविष्य के लिए मदद की जाए।
भीषण गर्मी में तपती सड़क पर नंगे पांव चलती इस मां और उसके मासूम बच्चों की ये तस्वीरें एक बार फिर समाज से सवाल कर रही हैं – क्या किसी की मजबूरी इतनी भी अनदेखी होनी चाहिए?