सागर। शहर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां मछली खाने के दौरान एक युवक की जान पर बन आई। जानकारी के अनुसार, दंपति घर पर बैठकर मछली खा रहे थे। इसी दौरान युवक के गले में मछली का नुकीला कांटा फंस गया, जिससे उसकी हालत अचानक बिगड़ गई। दर्द और घुटन के कारण वह बोल तक नहीं पा रहा था। घबराए परिजन तुरंत उसे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) के इमरजेंसी विभाग लेकर पहुंचे।चिकित्सकों ने जांच की तो पता चला कि कांटा गले के निचले हिस्से यानी लैरिंक्स (स्वरयंत्र) में गहराई से अटका हुआ है। यह क्षेत्र शरीर के बेहद संवेदनशील हिस्सों में से एक है, जहां किसी भी प्रक्रिया में सावधानी बरतना जरूरी होता है। आमतौर पर ऐसे मामलों में मरीज को बेहोश कर ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन बीएमसी की विशेषज्ञ टीम ने बिना बेहोश किए ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) तकनीक के जरिए कांटा निकालने का निर्णय लिया।डॉ. सत्येंद्र मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर (छाती एवं श्वास रोग विभाग) ने बताया कि यह एक जोखिमभरी प्रक्रिया थी, जिसमें छोटी सी चूक गले को नुकसान पहुँचा सकती थी या सांस रोक सकती थी। फिर भी डॉक्टरों की टीम ने पूरी सावधानी के साथ यह जटिल प्रक्रिया पूरी की। टीम में डॉ. सोनम पटेल, उमाकांत सोनी और डॉ. व्योम शामिल थे, जिन्होंने समन्वय से करीब 30 मिनट की मेहनत के बाद कांटा सफलतापूर्वक निकाल लिया।युवक के परिजनों ने राहत की सांस ली क्योंकि वह लगभग छह घंटे से पीड़ा और सांस लेने में कठिनाई झेल रहा था। प्रक्रिया के बाद मरीज की स्थिति सामान्य बताई जा रही है और उसे निरंतर निगरानी में रखा गया है।डॉ. मिश्रा के अनुसार, यदि उपचार में थोड़ी भी देर होती तो स्थिति गंभीर हो सकती थी, क्योंकि कांटा फेफड़ों तक जाने या गले में संक्रमण फैलाने का खतरा था। उन्होंने बताया कि बीएमसी टीम के लिए यह एक महत्वपूर्ण चिकित्सकीय सफलता है, जिसने बिना पूर्ण एनेस्थीसिया (बेहोशी) के इस चुनौतीपूर्ण केस को संभालकर नई मिसाल पेश की है।
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