MP : उज्जैन जिले में अंधविश्वास का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां झाड़-फूंक और प्रेतबाधा के बहाने एक महिला को लोहे की सलाखों से पीटा गया और उसके हाथ-पैर तक जला दिए गए। पुलिस ने इस अमानवीय कृत्य में शामिल आठ आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। घायल महिला को चरक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज जारी है।बीमारी को माना प्रेतबाधा टीआई लीला सोलंकी के अनुसार, पीड़िता उर्मिला (22 वर्ष) पत्नी संजू निवासी गौतमपुरा की शादी लगभग पांच साल पहले हुई थी। उसकी एक दो वर्षीय बेटी भी है। पति से विवाद के चलते वह अपनी मां हंसाबाई के साथ जूना सोमवरिया में रह रही थी। पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चल रही थी, जिसके बारे में उसकी मां ने अपनी काकी सास से चर्चा की।बताया जाता है कि काकी सास के सुझाव पर उर्मिला के पिता करणसिंह, जो खाचरौद क्षेत्र के श्रीवच गांव में रहते हैं, ने नवरात्र के दौरान 29 सितंबर को बेटी को गांव बुलाया। वहां उसे सुगाबाई नामक महिला के घर ले जाया गया, जिसने बीमारी को प्रेतबाधा का असर बताकर झाड़-फूंक करने की बात कही।
कमरे में बंद कर किया गया अत्याचार
पुलिस जांच में सामने आया कि सुगाबाई ने सबसे पहले उर्मिला की मां हंसाबाई को कमरे से बाहर भेज दिया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इसके बाद उर्मिला को लोहे की सलाखों से पीटा गया। उसकी यातना यहीं नहीं रुकी उसके दोनों हाथों को जलते दीपकों से दागा गया और एक गर्म सिक्का उसके सिर पर रखकर झुलसा दिया गया। दर्द और सदमे से उर्मिला मौके पर ही बेहोश हो गई।देर रात स्थिति बिगड़ने पर उसकी मां हंसाबाई और एक रिश्तेदार उसे किसी तरह घर लेकर आईं, जहां से उसे इलाज के लिए चरक अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता के सिर और हाथों पर गंभीर जलने के निशान हैं।
सभी आठ आरोपी पुलिस गिरफ्त में
पुलिस ने इस घटना में शामिल सुगाबाई, उसके पुत्र कान्हा, तथा गांव के अन्य लोगों कान्हा उर्फ कन्हैयालाल दायमा (25 वर्ष), मनोहर उर्फ मनोरिया, राजू चौधरी और रितेश पुत्र चंदर चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। सभी आरोपियों को हिरासत में लिया गया है और पूछताछ जारी है।टीआई लीला सोलंकी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में अंधविश्वास के चलते महिला के साथ क्रूरता किए जाने की पुष्टि हुई है। मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित धाराओं में वृद्धि कर मामले को अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।
समाज में अंधविश्वास की जड़ें अब भी गहरी
यह घटना एक बार फिर यह संकेत देती है कि शिक्षा और आधुनिकता के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास और झाड़-फूंक जैसी कुप्रथाएं अब भी समाज में जमी हुई हैं। पुलिस प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सीय सलाह लें और इस तरह के धार्मिक अंधविश्वासों में पड़कर किसी पर अत्याचार न करें।
मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।