भाड़े के शिक्षक रख रहे थे, कलेक्टर की सख्त कार्रवाई: पांच शिक्षक बर्खास्त
सागर। शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं! सागर जिले के कलेक्टर संदीप जी आर ने बड़ा एक्शन लेते हुए शासकीय विद्यालयों में भाड़े के शिक्षक रखने वाले पांच शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।
कलेक्टर संदीप जी आर ने बताया कि हाल ही में दैनिक समाचार पत्रों में एक चौंकाने वाली खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें यह खुलासा हुआ था कि पांच सरकारी शिक्षक अपनी ड्यूटी खुद नहीं कर रहे थे, बल्कि अपने स्थान पर पैसे देकर भाड़े के शिक्षक बिठा रखे थे।
जांच की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन को सौंपी गई थी। कलेक्टर के अनुमोदन के बाद दोषी पाए गए सभी पांच शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
ये हैं बर्खास्त किए गए शिक्षक:
अनिल मिश्रा – शा. प्रा. शा. रहली, विकासखंड जैसीनगर, सागर
जानकी तिवारी – शास. एकीकृत माध्यमिक शाला बंजरिया, जैसीनगर
अवतार सिंह ठाकुर – शा. प्रा. शा. कजरई, खुरई
रूपसिंह चढ़ार – शास. एकीकृत माध्यमिक शाला भेलैया, मालथौन
इन्द्र विक्रम सिंह परमार – शा. प्रा. शा. मंझेरा, मालथौन
क्या था मामला?
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के मुताबिक, ‘भाड़े के शिक्षकों से स्टाफ को आराम’ शीर्षक वाली खबर पर संज्ञान लेते हुए जांच दल गठित किया गया।
जांच में पाया गया कि:
अनिल मिश्रा सप्ताह में सिर्फ एक बार स्कूल आते थे, बाकी समय उनके स्थान पर श्री भगवान दास सकवार पढ़ा रहे थे।
जानकी तिवारी ने श्री गोकल प्रसाद प्रजापति को भाड़े पर रखा था।
अवतार सिंह ठाकुर के स्थान पर श्री राहुल पंडित पढ़ा रहे थे।
रूपसिंह चढ़ार की जगह श्री विक्रम सिंह लोधी कार्य कर रहे थे।
इन्द्र विक्रम सिंह परमार ने श्रीमती ममता अहिरवार को अपने स्थान पर भेजा था।
जांच में ये भी पाया गया कि ये शिक्षक हफ्ते में बमुश्किल एक दिन स्कूल आते थे और बाकी समय गैर-शासकीय भाड़े के शिक्षकों से स्कूल का काम चलवा रहे थे। विभागीय जांच में साक्ष्य और गवाहों ने इन शिक्षकों के दोषी होने की पुष्टि कर दी।
गंभीर लापरवाही का अंजाम – बर्खास्तगी
शिक्षकों का यह कृत्य न केवल गंभीर कदाचार माना गया बल्कि यह मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 और मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 का भी उल्लंघन है।
निर्धारित प्रक्रिया के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया लेकिन शिक्षकों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए। अंततः नियम 10(9) के अंतर्गत इन पांचों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।