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नहर में कूदे पति का 9 किमी तक हाथ थामे रही पत्नी, फिर भी न बचा पाईं जिंदगी

मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)। माता-पिता के ...

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मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)। माता-पिता के प्रति सेवा और सम्मान को भारतीय संस्कृति में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले से आई यह घटना समाज के बदलते रिश्तों और संवेदनहीनता की सच्चाई को उजागर करती है। यहां 75 वर्षीय एक बुजुर्ग ने बेटों की बेरुख़ी और उपेक्षा से तंग आकर अपनी जान दे दी। और हैरानी की बात यह रही कि बुजुर्ग की पत्नी ने आख़िरी पल तक पति का साथ निभाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी।

बेटे बने पराए, अपाहिज पिता को छोड़ दिया अकेला

मृतक बुजुर्ग का नाम रामलड़ैते था। कभी वे फेरी लगाकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। लेकिन करीब तीन साल पहले उनका कूल्हा टूट गया, जिसके बाद वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गए और अपाहिज जैसी ज़िंदगी जीने को मजबूर हो गए।

रामलड़ैते के चार बेटे — निर्वेश, सर्वेश, किशोरी और सीताराम — और बहुएं उनकी देखभाल से लगातार किनारा करते रहे। न तो किसी ने उनके इलाज का खर्च उठाया और न ही घर में उनकी देखभाल की जिम्मेदारी निभाई। उपेक्षा और अपमान झेलते-झेलते आखिरकार उन्होंने जीवन खत्म करने का दर्दनाक फैसला ले लिया।

पत्नी का अमर प्रेम : 9 किलोमीटर तक थामा पति का हाथ

घटना वाले दिन शुक्रवार की सुबह रामलड़ैते घर से यह कहकर निकले कि वे छिबरामऊ जा रहे हैं। लेकिन उनकी पत्नी 72 वर्षीय श्रीदेवी को कुछ आशंका हुई। क्योंकि वे पहले भी आत्महत्या करने की बात कर चुके थे। वह चुपचाप उनके पीछे-पीछे निकल पड़ीं।

इटावा ब्रांच नहर के पुल पर पहुंचकर अचानक रामलड़ैते ने छलांग लगा दी। श्रीदेवी ने तुरंत उनका हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन पति ने खुद को छुड़ाकर पानी में कूद गए। अपने जीवनसाथी को बचाने की चाह में श्रीदेवी भी तुरंत नहर में कूद पड़ीं।

तेज़ बहाव के बावजूद उन्होंने लगभग 9 किलोमीटर तक अपने पति का हाथ कसकर थामे रखा। इस उम्र में भी उन्होंने जद्दोजहद करते हुए उन्हें बचाने की हर कोशिश की। लेकिन भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। जब तक ग्रामीण मदद के लिए पहुंचे, रामलड़ैते की मौत हो चुकी थी।

पुलिस और पोस्टमार्टम रिपोर्ट

घटना की जानकारी मिलते ही दन्नाहार थाना पुलिस मौके पर पहुंची और गोताखोरों की मदद से शव को नहर से बाहर निकाला गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में रामलड़ैते की मौत का कारण पानी में डूबने से फेफड़ों में पानी भरना बताया गया। शव परिजनों को सौंपकर अंतिम संस्कार कर दिया गया।

गांव में मातम, बेटों पर सवाल

गांव में इस घटना से गहरा शोक फैल गया। ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं जब उन्होंने सुना कि बुजुर्ग को बेटों ने अपने हाल पर छोड़ दिया था। लोगों ने कहा कि अगर बेटों ने माता-पिता की सेवा की होती और उनका सहारा बने होते, तो शायद यह त्रासदी न होती।

रामलड़ैते की पत्नी श्रीदेवी अपने पति के शव को देख फूट-फूटकर रोती रहीं। उनका अटूट प्रेम और आखिरी सांस तक निभाई गई जद्दोजहद लोगों के लिए एक मार्मिक उदाहरण बन गई। यह घटना समाज के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर क्यों आधुनिक दौर में माता-पिता की सेवा का संस्कार बेटों से दूर होता जा रहा है।

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मैं सूरज सेन पिछले 6 साल से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूं और मैने अलग अलग न्यूज चैनल,ओर न्यूज पोर्टल में काम किया है। खबरों को सही और सरल शब्दों में आपसे साझा करना मेरी विशेषता है।
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