उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के परिवार परामर्श केंद्र में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया। यहां दो पत्नियों के बीच हुए विवाद में पति को अपनी पहली पत्नी के सामने झुकना पड़ा। समझौते की शर्तें भी ऐसी थीं, जो सामाजिक चर्चा का विषय बन गईं।
पहली पत्नी ने रखीं दो सख्त शर्तें
जैदपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति ने पहले से शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी महिला से प्रेम विवाह कर लिया था। दूसरी पत्नी के आने के बाद पति-पत्नी के बीच संपत्ति को लेकर विवाद गहराने लगा। मामला जब बढ़ गया तो इसे महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन, पुलिस लाइन बाराबंकी के परिवार परामर्श केंद्र में लाया गया।
संगठन की प्रभारी कुमारी रत्ना ने दोनों पक्षों को कई बार बुलाकर समझाने की कोशिश की। आखिरकार तीसरी बार की बैठक में समझौता हुआ, लेकिन पहली पत्नी ने दो कड़े नियम रखे
- दूसरी पत्नी के बच्चों को पति की पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
- हर महीने पहली पत्नी को एक हजार रुपये भरण-पोषण के रूप में दिए जाएंगे।
पति ने दोनों शर्तें स्वीकार कर लीं और मौके पर ही एक हजार रुपये पहली पत्नी को देकर दूसरी महिला के साथ चला गया।
प्यार और जिम्मेदारी के बीच फंसा रिश्ता
यह मामला सिर्फ पारिवारिक विवाद नहीं बल्कि रिश्तों, भावनाओं और जिम्मेदारी के बीच की खींचतान को भी उजागर करता है। पहली पत्नी ने अपने आत्मसम्मान को बरकरार रखते हुए पति को दूसरी शादी की अनुमति तो दी, लेकिन कानूनन और सामाजिक रूप से खुद की स्थिति मजबूत करने के लिए सख्त शर्तें रखीं।
परामर्श केंद्र की प्रभारी कुमारी रत्ना के अनुसार, इस तरह के शिविर हर दिन आयोजित किए जाते हैं, जहां पारिवारिक मतभेदों को आपसी सहमति से सुलझाया जाता है। हालांकि, यह मामला इतना जटिल था कि दोनों पक्षों को तीन बार बुलाना पड़ा।
दूसरी पत्नी ने दी भावनात्मक दलील
जब परामर्श के दौरान दूसरी पत्नी से पूछा गया कि वह पहले से विवाहित व्यक्ति से शादी क्यों करना चाहती है, जबकि उसके अपने पांच बच्चे हैं, तो उसने कहा—
प्यार की कोई उम्र या सीमा नहीं होती। ईश्वर जिसे जन्म देता है, उसका पालन-पोषण भी करता है। बच्चे किसी न किसी तरह पल जाएंगे।
महिला ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उसे घर से निकाला गया या अस्वीकार किया गया, तो वह आत्महत्या कर लेगी।
लिखित समझौते के बाद मामला निपटा
पहली पत्नी ने चेतावनी दी कि यदि पति उसकी शर्तों को तोड़ता है तो वह कानूनी कार्रवाई करेगी। इस परामर्श केंद्र में दोनों पक्षों के बीच लिखित समझौता कराया गया और मामला निस्तारित कर दिया गया।
इस पूरे प्रकरण ने दिखाया कि कैसे एक महिला ने समझदारी और आत्मसम्मान के साथ अपने अधिकारों की रक्षा की, वहीं पति ने भी विवाद को शांत करने के लिए समझौता करना ही बेहतर समझा।








